राजनीति और हमारी विसंगतियाँ
भाजपा परिवारिक राजनीति को सैद्धांतिक रूप से अस्वीकार करती है. परंतु अकाली दल,
शिव सेना, लोक जनशक्ति पार्टी जैसे परिवारिक दल उसके मुख्य सहयोगी हैं. किंतु उसमें
भाजपा को कोई आपत्ति नहीं है. और इससे भाजपा को कोई सैद्धांतिक नुकसान नही होता.
दूसरी तरफ पासवान घोषणा करते हैं कि भाजपा के साथ जाने के बावजूद हम सेक्यूलर
बने रहेंगे. यानि भाजपा और लोजपा दोनों एक दूसरे के साथ मिलकर भी अपने सिद्धांतो
पे बने रह सकते हैं. पर कैसे?
ममता बनर्जी और जयललिता फिलहाल भाजपा से दूरी बनाये हुये हैं क्योंकि दोनों को ही
अपने अपने राज्य में काफी बङे मुस्लिम समुदाय के वोटों को हाथ से नहीं जाने देना है.
लेकिन चुनावों के बाद इनके कहीं भी जाने के दरवाजे खुले रहेंगे. मायावती भी इसी राह
पर हैं. ममता बनर्जी , जयललिता और मायावती का "मजमा" इस बार देखिये क्या गुल खिलाता है?
हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री अपने अधीन मंत्रियों द्वारा बङे घोटालों के बावजूद ईमानदार ही
कहे जायेंगे. उनकी कोई जिम्मेदारी ना कभी थी ना अब है. कांग्रेस के बङे बङे नेता विरोधी
नेताओं पर कितने भी गलत शब्दों में बयान देते रहें, कांग्रेस के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष उनके
बयानों से दूरी बना लेंगे, उनकी कोई जिम्मेदारी ही नहीं बनती.
एक पार्टी के नेताओं का दूसरी पार्टियों में तीर्थटन शुरू हो चुका है. कल तक कांग्रेस की
नीतियों को ही ठीक कह रहे नेता अब अगली सरकार कांग्रेस की न बनती देख भाजपा
में जा रहे हैं, शायद सरकार का समय पूरा होते होते उनका इन नीतियों से मोहभंग हो
चुका है, लेकिन कमाल देखिये कि भाजपा भी गलबहियों को तैयार है. शायद भाजपा का
मानना ये है कि कांग्रेस में भ्रष्टाचार पार्टी करती है उसके नेता नही. लालू जी के पार्टी सचिव
चुनाव क्षेत्र छिनता देख बिदक रहे हैं शायद उनके लिये भी भाजपा में जगह हो ही
जायेगी.
उधर अन्ना जी और किरण बेदी जी, केजरीवाल को राजनितिक दल बनाने पर कोस कोस
कर जब थक गये तो किरण बेदी जी के तो भाजपा का रुख करने की खबरें हैं और
अन्ना जी को ममता बनर्जी का प्रचार करते देखना बुरा मुझे भी नहीं लग रहा है.
लम्बे समय तक राजनितिक तहलका मचाने वाले, एक नया राजनीतिक दल खङा करने
का प्रयास करते दिखे, लोगों में सच्च की अलख जगाते बाबा रामदेव भाजपा के पीछे
जा खङे हुए थे. लेकिन इन दिनों वे खबरों से कहीं परे हैं
ये सारी विसंगतियाँ एक ही बात की तरफ इशारा करती हैं कि चाहे यहाँ कुछ भी
क्यों ना हो जाये उसके लिये कोई भी व्यक्तिगत तौर पे जिम्मेदार नहीं है.
ना नेता, ना राजनीतिक दल, ना वोटर, ना प्रशासनिक मशीनरी और शायद ना ही हम और
आप. फिर इस देश के अच्छे बुरे का जिम्मेदार है कौन??